नई दिल्ली:भारतीय सिनेमा के ‘भारत कुमार’ यानी मनोज कुमार का शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ पवन हंस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें इक्कीस तोपों की सलामी दी गई। दिवंगत अभिनेता के अंतिम संस्कार में फिल्म जगत के तमाम सितारे पहुंचे और नम आंखों से उन्हें विदाई दी। मनोज कुमार पिछले कुछ हफ्तों से मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती थे। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे।बेटे कुणाल गोस्वामी ने बताया कि पिता ने शांतिपूर्वक दुनिया को अलविदा कहा है। मनोज कुमार लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे और 21 फरवरी से ही अस्पताल में भर्ती थे।
फिल्मों के लिए मशहूर एक्टर के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है। मनोज कुमार को फिल्मी करियर में 7 बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। 1992 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। जबकि 2016 में उन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया।
देशभक्ति की भावना से भरी फिल्मों के लिए मशहूर अभिनेता मनोज कुमार का 87 साल की उम्र में शुक्रवार को निधन हो गया। बेटे कुणाल गोस्वामी ने बताया कि अभिनेता कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। मनोज कुमार को 21 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुणाल गोस्वामी ने मीडिया से बातचीत के दौरान पिता की तकलीफ साझा की थी। उन्होंने कहा कि अभिनेता मनोज कुमार 2 से 3 सप्ताह से बीमार चल रहे थे। इलाज के लिए उन्हें कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को उन्होंने आखिरी सांस ली।
उनकी फ़िल्में, जैसे उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), और शहीद (1965), भारतीय सिनेमा में मील के पत्थर मानी जाती हैं, जिन्होंने अपनी देशभक्ति की भावना से देश के सिनेमाई परिदृश्य को आकार दिया।
अभिनेता की अंतिम यात्रा एक गंभीर लेकिन उत्सवपूर्ण कार्यक्रम था, जिसमें उनके ताबूत को भारतीय तिरंगे में लपेटा गया था, जो देशभक्ति की उनकी स्थायी विरासत को श्रद्धांजलि थी।उनके पार्थिव शरीर को ले जाने वाली एम्बुलेंस को तिरंगे के फूलों से सजाया गया था, जो भारत की भावना के साथ उनके गहरे संबंध का प्रतीक था।