नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवन ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि राष्ट्रीय हितों की बजाय पार्टी आंतरिक राजनीति में उलझी हुई है। केसवन ने विशेष रूप से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को दरकिनार करने के फैसले पर सवाल उठाए, जो हाल ही में सरकार की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ की गई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का समर्थन कर चुके हैं।
केसवन ने कहा, “कांग्रेस पार्टी को राष्ट्रीय हित में सरकार द्वारा घोषित सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का समर्थन करना चाहिए था और राष्ट्र के साथ खड़ा होना चाहिए था। लेकिन पार्टी शशि थरूर को दरकिनार करने और उनके साथ निजी राजनीतिक हिसाब-किताब चुकता करने में ज्यादा रुचि दिखा रही है।” उन्होंने आगे कहा कि थरूर ने खुले तौर पर सरकार के मजबूत रुख और पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का समर्थन किया था, जो कांग्रेस की ओर से उनकी अनदेखी को और भी गंभीर बनाता है।
ऑपरेशन सिंदूर और तनाव
‘ऑपरेशन सिंदूर’ 6 मई, 2025 की रात को भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान-कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई थी। इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ भारत के ‘सही जवाब’ के रूप में वर्णित किया गया है, जिसमें आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और संभावित आतंकवादियों को निष्क्रिय करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
हालांकि, इस कार्रवाई ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है, जो 2019 के बाद से सबसे बड़ी सैन्य confrontation है। कांग्रेस के भीतर थरूर के बयान और उनकी अनदेखी ने पार्टी की एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर उसकी प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
थरूर का स्पष्टीकरण
शशि थरूर ने हाल ही में अपने बयान को स्पष्ट करते हुए कहा कि उनके विचार व्यक्तिगत थे और पार्टी की आधिकारिक स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने कहा, “मैंने जो कहा, वह मेरी व्यक्तिगत राय थी, और मैंने पार्टी लाइन से हटकर नहीं बोला।” इसके बावजूद, बीजेपी ने कांग्रेस की आंतरिक कलह को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एकता की कमी के रूप में पेश किया है।
केसवन की टिप्पणियां कांग्रेस पार्टी के भीतर बढ़ते मतभेदों को उजागर करती हैं, खासकर जब राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एकजुटता की उम्मीद की जाती है। बीजेपी का यह दावा कि कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकताएं गलत हैं, राजनीतिक वाद-विवाद को और गहरा कर सकता है, खासकर जब दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है।
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दों पर राजनीतिक दलों के बीच एकजुटता बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, और यह भी कि आंतरिक राजनीति कैसे राष्ट्रीय हितों को प्रभावित कर सकती है।