मोतिहारी: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खालिस्तानी आतंकवादी कश्मीर सिंह गलवड्डी को एक बड़ी कार्रवाई में गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी बिहार के मोतिहारी में स्थानीय पुलिस के सहयोग से रविवार, 11 मई को की गई। गलवड्डी 2016 में पंजाब के नाभा जेल से भागने के बाद से फरार था और 2022 के आतंकी साजिश मामले में उसकी तलाश थी। उसके सिर पर 10 लाख रुपये का इनाम भी घोषित था।
एनआईए के अनुसार, कश्मीर सिंह गलवड्डी पंजाब के लुधियाना का रहने वाला है और वह विदेश में सक्रिय बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के आतंकवादी हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा का करीबी सहयोगी है। जांच में खुलासा हुआ कि जेल से भागने के बाद गलवड्डी ने रिंदा और अन्य नामित खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिलकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभाई। वह खालिस्तानी आतंकवादियों को शरण, रसद सहायता और आतंकी फंडिंग प्रदान करने में शामिल था।
एनआईए ने बताया कि गलवड्डी उन आतंकवादियों के साथ जुड़ा था, जो मई 2022 में पंजाब पुलिस खुफिया मुख्यालय, मोहाली पर रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) हमले में शामिल थे। इस हमले के बाद कई आतंकी सहयोगी नेपाल भाग गए थे। जांच एजेंसी ने अगस्त 2022 में इस आतंकी साजिश का मामला स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज किया था। जांच में यह भी पता चला कि बीकेआई, खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) जैसे प्रतिबंधित संगठन देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए संगठित आपराधिक गिरोहों के साथ मिलकर काम कर रहे थे। ये समूह सीमा पार से हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक और आईईडी की तस्करी में भी लिप्त थे।
एनआईए की दिल्ली स्थित विशेष अदालत ने गलवड्डी को 2022 के आतंकी साजिश मामले में भगोड़ा घोषित किया था और उसके खिलाफ कई गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए थे। उसकी गिरफ्तारी के लिए 2023 में 10 लाख रुपये के नकद इनाम की घोषणा भी की गई थी। एनआईए ने इस मामले में रिंदा और एक अन्य खालिस्तानी आतंकवादी लखबीर सिंह उर्फ लांडा सहित नौ आरोपियों के खिलाफ जुलाई 2023 में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसके बाद छह अन्य के खिलाफ दो पूरक आरोपपत्र भी दाखिल किए गए।
हाल के वर्षों में खालिस्तान आंदोलन ने पश्चिमी देशों में फिर से जोर पकड़ा है। 2025 की एक एमपी-आईडीएसए रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की आईएसआई और विदेशों में बसे सिख डायस्पोरा समूहों के समर्थन से इस आंदोलन ने भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। इनमें भारतीय प्रतीकों पर हमले और खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह जैसी गतिविधियां शामिल हैं। हालांकि, पंजाब के भीतर इस आंदोलन को ज्यादा समर्थन नहीं मिला है।
एनआईए ने इस गिरफ्तारी को आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता करार दिया है और कहा है कि वे ऐसे तत्वों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और तेज करेंगे जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।