दमोह, मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक धोखेबाज व्यक्ति ने खुद को ब्रिटिश हार्ट सर्जन बताकर एक मिशनरी अस्पताल में कई मरीजों की जान खतरे में डाल दी। आरोपी ने कथित तौर पर 15 हृदय सर्जरी कीं, जिसके बाद कई मरीजों की दुखद मौत हो गई। इस गंभीर मेडिकल फ्रॉड का खुलासा होने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं, वहीं स्थानीय प्रशासन भी सच्चाई का पता लगाने में जुट गया है।
आरोपी की पहचान नरेंद्र यादव के रूप में हुई है, जिसने बड़ी चालाकी से खुद को लंदन का प्रतिष्ठित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एन. जॉन कैम बताकर अस्पताल में नौकरी हासिल कर ली। दमोह बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी ने इस चौंकाने वाली घटना की शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में दावा किया गया है कि नरेंद्र यादव ने जाली दस्तावेजों के आधार पर यह पद प्राप्त किया और जटिल हृदय संबंधी सर्जरी को अंजाम दिया, जिसके परिणामस्वरूप कई निर्दोष मरीजों की जान चली गई। शिकायत के अनुसार, यह कथित धोखाधड़ी दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच मिशन अस्पताल में हुई मौतों के पीछे का मुख्य कारण है।
अस्पताल में अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों का दर्द असहनीय है। नबी कुरैशी, जिनकी 63 वर्षीय मां रहीसा को 13 जनवरी को दिल का दौरा पड़ने के बाद मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि 14 जनवरी को एंजियोग्राफी और 16 जनवरी को एंजियोप्लास्टी के दौरान उनकी मां को फिर से दिल का दौरा पड़ा। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन कुछ ही घंटों में उनकी सांसें थम गईं। नबी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, “हमें बताया गया कि मौत का कारण दिल का दौरा था, इसलिए हमने पोस्टमार्टम नहीं कराया। बाद में मीडिया के माध्यम से हमें पता चला कि एक फर्जी डॉक्टर सर्जरी कर रहा था। अस्पताल या प्रशासन ने हमसे कोई संपर्क नहीं किया।”
इस गंभीर मामले पर त्वरित कार्रवाई करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मिशनरी अस्पताल में फर्जी डॉक्टर द्वारा हृदय रोग के इलाज के नाम पर सर्जरी करने से 7 लोगों की मौत का मामला सामने आया है। यह अस्पताल प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत सरकारी फंड ले रहा था, जिसके दुरुपयोग का भी आरोप है।” NHRC की एक टीम 7 से 9 अप्रैल तक दमोह का दौरा कर इस पूरे मामले की गहन जांच करेगी।
दमोह के कलेक्टर सुधीर कोचर ने बताया कि मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है, हालांकि जांच पूरी होने तक उन्होंने कोई भी विस्तृत टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी नरेंद्र यादव फिलहाल फरार है और उसे पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम पहले लगाए गए आरोपों की गहनता से जांच कर रहे हैं। इसके बाद कानून के अनुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नरेंद्र यादव ने एक महीने की अवधि के भीतर लगभग 15 सर्जरी कीं, जिनमें से कई दुर्भाग्यपूर्ण मौतों में तब्दील हो गईं। इस घटना ने मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य सेवा तंत्र की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मिशन अस्पताल, जो आयुष्मान भारत योजना के तहत संचालित हो रहा था, पर सरकारी धन के दुरुपयोग के भी गंभीर आरोप लगे हैं। इस खुलासे ने स्थानीय समुदाय में भय और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है, और अब सभी की निगाहें जांच के नतीजों पर टिकी हुई हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस लापरवाही और धोखाधड़ी के लिए कौन जिम्मेदार ठहराया जाता है और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।